मरियम और नवाज को अकेले छोड़ हमेशा के लिए विदा हुईं कुलसुम, आंखें हुईं नम
नवाज शरीफ की पत्नी कुलसुम नवाज का मंगलवार को लंदन के अस्पताल में निधन हो गया है। उनका लंदन के अस्पताल में काफी समय से इलाज चल रहा था।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 12 Sep 2018 09:51 AM (IST)
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। नवाज शरीफ की पत्नी कुलसुम नवाज का मंगलवार को लंदन के अस्पताल में निधन हो गया है। उनका लंदन के अस्पताल में करीब काफी समय से केंसर का इलाज चल रहा था। पिछले वर्ष नवाज को कोर्ट द्वारा सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद जब लाहौर की NA-120 सीट पर उपचुनाव हुआ था तब कुलसुम को ही यहां से उम्मीदवार बनाया गया था।
माना जा रहा था कि कोर्ट के सख्त रुख के बाद नवाज पार्टी की पूरी जिम्मेदारी के साथ-साथ देश की कमान भी वक्त पड़ने पर उन्हें सौंप देंगे। लेकिन चुनाव से पहले ही उनकी हालत खराब हो गई थी और उन्हें इमरजेंसी में लंदन के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। सितंबर से ही वह अस्पताल में भर्ती थीं। आपको बता दें कि इसी वर्ष जून में उन्हें जबरदस्त दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा था। तब से ही वह इस पर थीं। यह कहना गलत नहींं गलत नहीं होगा कि नवाज के पूरे परिवार के लिए यह सबसे मुश्किल पल है। फिलहाल नवाज और मरियम दोनों ही पाकिस्तान की जेल में बंद हैं।
मरियम रही हैं मां की करीब
आपको यहां पर बता दें कि मरियम अपने पिता और अम्मी के काफी करीब मानी जाती हैं। यही वजह है कि जब कुलसुम को दिल का दौरा पड़ने की बात सामने आई तो मरियम ने ट्विटर पर यह जानकारी देते हुए लिखा कि वह अपनी मां को देखने लंदन जा रही हैं।
आपको यहां पर बता दें कि मरियम अपने पिता और अम्मी के काफी करीब मानी जाती हैं। यही वजह है कि जब कुलसुम को दिल का दौरा पड़ने की बात सामने आई तो मरियम ने ट्विटर पर यह जानकारी देते हुए लिखा कि वह अपनी मां को देखने लंदन जा रही हैं।
उन्होंने सभी लोगों ने अपनी मां की सेहत के लिए दुआ करने को भी लिखा था। मरियम की मां से करीबी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने लंदन में अस्पताल में अपनी मां को देखने के बाद सोशल मीडिया पर लिखा था कि वह अपनी मां की आवाज सुनने के लिए तरस रही हैं। वह उन्हें फिर से हंसता हुआ देखना चाहती हैं।
कभी नहीं गई नेशनल असेंबली
आपको यहांं ये भी बता दें कि नेशनल असेंबली का चुनाव जीतने के बावजूद अपनी बीमारी की वजह से कुलसुम कभी भी नेशनल नअसेंबली नहीं जा सकी । 2 मई को नवाज शरीफ ने अपनी शादी की 47वीं सालगिरह को भी कुलसुम के साथ बड़े उदासी भरे माहौल में मनाई था, जबकि पिछले वर्ष यह बड़े शानदार तरीके से मनाई गई थी और मरियम ने इस जश्न की फोटो ट्विटर पर शेयर भी की थीं। कुलसुम का योगदान
आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुलसुम का नवाज के जीवन में काफी अहम योगदान रहा है। जिस वक्त पाकिस्तान के तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज को जीवनदान के बदले में देश छोड़ने का फरमान सुनाया था, उस वक्त भी कुलसुम ने ही आगे बढ़कर मोर्चा संभाला था।इस दौरान कुलसुम ने न सिर्फ पार्टी को जिंदा रखा बल्कि आम चुनाव में पार्टी को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। यह कहना कहीं भी गलत नहीं होगा कि कुलसुम हमेशा से ही नवाज की ताकत बनती रही हैं। सात वर्षों तक जबरन देश निकला सहने वाले नवाज की वतन वापसी का श्रेय भी कुलसुम को ही जाता है। एनएबी ने सुनाई नवाज को सजा
आपको बता दें कि पनामा पेपर मामले में नवाज शरीफ को पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अदालत दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनाई गई है। सजा के अलावा कोर्ट ने उनके ऊपर करीब 80 लाख पौंड (करीब 73 करोड़ रुपये) का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा उन्हें एनएबी का सहयोग नहीं करने पर भी एक साल कैद की सजा सुनाई गई है। ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। उनके साथ ही बेटी मरयम को सात साल कठोर कारावास और दामाद कैप्टन मुहम्मद सफदर को जांच में सहयोग नहीं करने पर एक साल कैद की सजा सुनाई गई। मरयम को भी जांच में सहयोग नहीं करने पर एक साल की सजा दी गई है। उनकी भी दोनों सजाएं साथ चलेंगी। मरयम पर 20 लाख पौंड का जुर्माना भी लगा है। एक नजर में कुलसुम
आपको बता दें कि कुलसुम नवाज 1990-1993, 1997-1999 और फिर 2013-2017 तक देश की प्रथम महिला रही थीं। 1950 में कश्मीरी परिवार में पैदा हुई कुलसुम की पढ़ाई लिखाई लाहौर के इस्लामिया कॉलेज से हुई थी, बाद में इस कॉलेज का नाम बदलकर क्रिसचन कॉलेज कर दिया गया था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1970 में उर्दू से मास्टर डिग्री हासिल की थी। 1971 में कुलसुम का निकाह नवाज शरीफ से हुई। कुलसुम 1999-2002 तक पीएमएल-एन की अध्यक्ष भी रहीं।नवाज की सत्ता का तख्ता पलट करने के बाद परवेज मुशर्रफ ने उन्हें और मरियम को नजरबंद कर दिया था, जबकि परिवार के दूसरे सदस्यों को जेल में डाल दिया गया था। कुलसुम पिछले करीब तीस वर्षों से नवाज की करीबी के साथ-साथ उनकी सलाहकार भी थीं। सरकार से जुड़े कई फैसलों पर नवाज खुद कुलसुम से सलाह लेते थे। खुद नवाज ने अपने कई भाषणों में इस बात का खुलकर जिक्र भी किया है। खुद मरियम ने भी एक बार कुलसुम का जिक्र करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था कि वह परिवार और पार्टी के लिए कितनी अहम हैं। भारतीयों को है कितनी बातों की गलत जानकारी, हंसिये मत, आप भी हैं इसमें शामिल
आपको यहांं ये भी बता दें कि नेशनल असेंबली का चुनाव जीतने के बावजूद अपनी बीमारी की वजह से कुलसुम कभी भी नेशनल नअसेंबली नहीं जा सकी । 2 मई को नवाज शरीफ ने अपनी शादी की 47वीं सालगिरह को भी कुलसुम के साथ बड़े उदासी भरे माहौल में मनाई था, जबकि पिछले वर्ष यह बड़े शानदार तरीके से मनाई गई थी और मरियम ने इस जश्न की फोटो ट्विटर पर शेयर भी की थीं। कुलसुम का योगदान
आपको यहां पर ये भी बता दें कि कुलसुम का नवाज के जीवन में काफी अहम योगदान रहा है। जिस वक्त पाकिस्तान के तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज को जीवनदान के बदले में देश छोड़ने का फरमान सुनाया था, उस वक्त भी कुलसुम ने ही आगे बढ़कर मोर्चा संभाला था।इस दौरान कुलसुम ने न सिर्फ पार्टी को जिंदा रखा बल्कि आम चुनाव में पार्टी को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। यह कहना कहीं भी गलत नहीं होगा कि कुलसुम हमेशा से ही नवाज की ताकत बनती रही हैं। सात वर्षों तक जबरन देश निकला सहने वाले नवाज की वतन वापसी का श्रेय भी कुलसुम को ही जाता है। एनएबी ने सुनाई नवाज को सजा
आपको बता दें कि पनामा पेपर मामले में नवाज शरीफ को पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अदालत दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनाई गई है। सजा के अलावा कोर्ट ने उनके ऊपर करीब 80 लाख पौंड (करीब 73 करोड़ रुपये) का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा उन्हें एनएबी का सहयोग नहीं करने पर भी एक साल कैद की सजा सुनाई गई है। ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। उनके साथ ही बेटी मरयम को सात साल कठोर कारावास और दामाद कैप्टन मुहम्मद सफदर को जांच में सहयोग नहीं करने पर एक साल कैद की सजा सुनाई गई। मरयम को भी जांच में सहयोग नहीं करने पर एक साल की सजा दी गई है। उनकी भी दोनों सजाएं साथ चलेंगी। मरयम पर 20 लाख पौंड का जुर्माना भी लगा है। एक नजर में कुलसुम
आपको बता दें कि कुलसुम नवाज 1990-1993, 1997-1999 और फिर 2013-2017 तक देश की प्रथम महिला रही थीं। 1950 में कश्मीरी परिवार में पैदा हुई कुलसुम की पढ़ाई लिखाई लाहौर के इस्लामिया कॉलेज से हुई थी, बाद में इस कॉलेज का नाम बदलकर क्रिसचन कॉलेज कर दिया गया था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1970 में उर्दू से मास्टर डिग्री हासिल की थी। 1971 में कुलसुम का निकाह नवाज शरीफ से हुई। कुलसुम 1999-2002 तक पीएमएल-एन की अध्यक्ष भी रहीं।नवाज की सत्ता का तख्ता पलट करने के बाद परवेज मुशर्रफ ने उन्हें और मरियम को नजरबंद कर दिया था, जबकि परिवार के दूसरे सदस्यों को जेल में डाल दिया गया था। कुलसुम पिछले करीब तीस वर्षों से नवाज की करीबी के साथ-साथ उनकी सलाहकार भी थीं। सरकार से जुड़े कई फैसलों पर नवाज खुद कुलसुम से सलाह लेते थे। खुद नवाज ने अपने कई भाषणों में इस बात का खुलकर जिक्र भी किया है। खुद मरियम ने भी एक बार कुलसुम का जिक्र करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था कि वह परिवार और पार्टी के लिए कितनी अहम हैं। भारतीयों को है कितनी बातों की गलत जानकारी, हंसिये मत, आप भी हैं इसमें शामिल